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ग्रामीण पृष्ठभूमि पर लिखी यह किताब एक रोचक व्यंग्यात्मक कहानी है जिसमें दो जासूस अपने प्यारे कुत्ते के साथ दूर-दराज़ के एक गाँव में मुर्गों की चोरी की घटना की तहक़ीक़ात करने जाते हैं। बेहद हास्यास्पद तरीक़े से मनुष्य के व्यव्हार और विभिन्न परिस्तिथियों में उसकी प्रतिक्रिया का वर्णन इस किताब के माध्यम से किया गया है। यह सिर्फ़ एक कहानी नहीं है अपितु अपने आप में एक व्यंग्य है जो ज़िन्दगी को जीने और ख़ुश रहने की प्रेरणा देता है। एक अति निराश उबाऊ व्यक्ति भी इस कहानी को पढ़कर हँसी के कुछ पल चुरा सकता है। -- पेशे से अभियंता (इंजीनियर), युवा हिन्दी लेखक आकाश द्वीप सिंह मूल रूप से आगरा, उत्तर प्रदेश से…mehr

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Produktbeschreibung
ग्रामीण पृष्ठभूमि पर लिखी यह किताब एक रोचक व्यंग्यात्मक कहानी है जिसमें दो जासूस अपने प्यारे कुत्ते के साथ दूर-दराज़ के एक गाँव में मुर्गों की चोरी की घटना की तहक़ीक़ात करने जाते हैं। बेहद हास्यास्पद तरीक़े से मनुष्य के व्यव्हार और विभिन्न परिस्तिथियों में उसकी प्रतिक्रिया का वर्णन इस किताब के माध्यम से किया गया है। यह सिर्फ़ एक कहानी नहीं है अपितु अपने आप में एक व्यंग्य है जो ज़िन्दगी को जीने और ख़ुश रहने की प्रेरणा देता है। एक अति निराश उबाऊ व्यक्ति भी इस कहानी को पढ़कर हँसी के कुछ पल चुरा सकता है। -- पेशे से अभियंता (इंजीनियर), युवा हिन्दी लेखक आकाश द्वीप सिंह मूल रूप से आगरा, उत्तर प्रदेश से ताल्लुक़ रखते हैं किन्तु इस समय टनकपुर, उत्तराखण्ड में कार्यरत हैं। प्राथमिक शिक्षा के बाद अभियांत्रिकी में स्नातक की शिक्षा आगरा के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से हासिल की है। तत्पश्चात् स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त करने के लिए मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, प्रयागराज में दाखिला लिया। परन्तु यहाँ ज़्यादा दिन मन ना लगने के कारण नौकरी की तलाश शुरू कर दी, जो रिलायंस इंडस्ट्रीज, हज़ीरा, गुजरात में आकर ख़त्म हुई। चंचल मन यहाँ भी ना टिक सका और अप्रैल २०१० में तीन साल बाद ही नौकरी से त्याग पत्र देकर घर आ गए। इसके बाद का कुछ समय आजीविका के संघर्ष का समय था जिसका डट कर सामना किया और दिसंबर आते-आते एक सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई में अभियंता के पद से अपनी आजीविका की पुनः शुरुआत की। इनकी शिक्षा अंग्रेज़ी माध्यम के स्कूलों से हुई है किन्तु हिन्दी भाषा से प्रेम लगातार बना हुआ है।


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