Nicht lieferbar
¿¿ (eBook, ePUB) - Gupta, Manmohan Lal
Schade – dieser Artikel ist leider ausverkauft. Sobald wir wissen, ob und wann der Artikel wieder verfügbar ist, informieren wir Sie an dieser Stelle.
  • Format: ePub

मैंने अपने नाम के अनुरूप मन के भावों को किताब के माध्यम से एक सूत्र में पिरोने का प्रयास किया है। इसमें आपकों प्रकृति, सामाजिक मुद्दों, जीवन-मरण आदि के भाव मिलेंगे। प्रत्येक कविता में नये विचार सरल भाषा में प्रस्तुत किये गए हैं। कविताओं को पढ़ने के बाद आपके विचार मेरे लिए अमूल्य होंगे। आपके स्नेह की आकांक्षा में आपका- मनमोहन लाल गुप्ता अंजुम

  • Geräte: eReader
  • mit Kopierschutz
  • eBook Hilfe
  • Größe: 0.09MB
  • FamilySharing(5)
Produktbeschreibung
मैंने अपने नाम के अनुरूप मन के भावों को किताब के माध्यम से एक सूत्र में पिरोने का प्रयास किया है। इसमें आपकों प्रकृति, सामाजिक मुद्दों, जीवन-मरण आदि के भाव मिलेंगे। प्रत्येक कविता में नये विचार सरल भाषा में प्रस्तुत किये गए हैं। कविताओं को पढ़ने के बाद आपके विचार मेरे लिए अमूल्य होंगे। आपके स्नेह की आकांक्षा में आपका- मनमोहन लाल गुप्ता अंजुम


Dieser Download kann aus rechtlichen Gründen nur mit Rechnungsadresse in A, B, CY, CZ, D, DK, EW, E, FIN, F, GR, H, IRL, I, LT, L, LR, M, NL, PL, P, R, S, SLO, SK ausgeliefert werden.