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लेखिका की कलम से तुलसीकृत श्री रामचरितमानस ज्ञान का भंडार है। इस ग्रन्थ को पढ़ने व सुनने से मनुष्य अवश्य ही भवसागर से पार हो जाता है ।आज के व्यस्त व भाग दौड़ के जीवन में श्रीरामचरितमानस को जन-जन सहजता से पढ़े, सुने और समझ कर ज्ञान प्राप्त करें, उस का प्रयास इस पुस्तक " राम - रत्नावली " द्वारा किया गया है। " राम - रत्नावली " के दो भाग हैं। प्रथम भाग-"विषयनुवार रामचरितमानस इस भाग में रामचरितमानस में वर्णित सभी प्रसंगो, घटनाओं आदि को अलग-अलग "विषय" के रूप में प्रस्तुत किया गया है जिसे सरलता से समझा जा सके। सभी 31 विषय उल्लेखनीय, महत्वपूर्ण,ज्ञानवर्धक और रोचक हैं। पढ़ते-पढ़ते ऐसा अनुभव करेगें कि…mehr

Produktbeschreibung
लेखिका की कलम से तुलसीकृत श्री रामचरितमानस ज्ञान का भंडार है। इस ग्रन्थ को पढ़ने व सुनने से मनुष्य अवश्य ही भवसागर से पार हो जाता है ।आज के व्यस्त व भाग दौड़ के जीवन में श्रीरामचरितमानस को जन-जन सहजता से पढ़े, सुने और समझ कर ज्ञान प्राप्त करें, उस का प्रयास इस पुस्तक " राम - रत्नावली " द्वारा किया गया है। " राम - रत्नावली " के दो भाग हैं। प्रथम भाग-"विषयनुवार रामचरितमानस इस भाग में रामचरितमानस में वर्णित सभी प्रसंगो, घटनाओं आदि को अलग-अलग "विषय" के रूप में प्रस्तुत किया गया है जिसे सरलता से समझा जा सके। सभी 31 विषय उल्लेखनीय, महत्वपूर्ण,ज्ञानवर्धक और रोचक हैं। पढ़ते-पढ़ते ऐसा अनुभव करेगें कि श्री रामचरितमानस में इतना ज्ञान और विवरण है जिसे हमने अभी तक जाना और समझा ही नहीं। " विषयनुसार रामचरितमानस " को पढ़ के आप अवश्य आनन्दित होगें। द्वितीय भाग-"संक्षिप्त व सरल रामकथा" तुलसीकृत श्री रामचरितमानस के क्रमानुसार और उसी भाषा में उल्लेखनीय संवादों के साथ "राम कथा " को सरल व रोचक रूप में प्रस्तुत किया गया है। इस सरल रामकथा में श्लोक, छंद, दोहे, सोरठे, स्तुति, चौपाइयों का वर्णन नहीं है। पुस्तक को छपवाने का कार्य पूज्यनीय मोरारी बापू जी का आशीर्वाद लेने के पश्चात ही किया गया। बापू का आशीर्वाद प्रथम पृष्ट पर दिया गया है। "जय सिया राम"।