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अंकों की अनंत यात्रा प्राचीन सभ्यताओं से आधुनिक गणना प्रणालियों तक संख्याओं का इतिहाससंख्याएं हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं। हम हर रोज उनका इस्तेमाल करते हैं - समय बताने के लिए, दूरी नापने के लिए, चीजों की गिनती करने के लिए। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये संख्याएं कहां से आई हैं और उनका इतिहास कैसा रहा है? यह पुस्तक आपको संख्याओं की अनंत यात्रा पर ले चलती है, प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक गणना प्रणालियों तक।आदिम गणना के निशान संख्याओं के इतिहास की शुरुआत मानव सभ्यता के उषाकाल से ही जुड़ी हुई है। हमारे पूर्वजों ने, भले ही उनके पास औपचारिक गणितीय प्रणालियाँ नहीं थीं, फिर भी वस्तुओं की गिनती…mehr

Produktbeschreibung
अंकों की अनंत यात्रा प्राचीन सभ्यताओं से आधुनिक गणना प्रणालियों तक संख्याओं का इतिहाससंख्याएं हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं। हम हर रोज उनका इस्तेमाल करते हैं - समय बताने के लिए, दूरी नापने के लिए, चीजों की गिनती करने के लिए। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये संख्याएं कहां से आई हैं और उनका इतिहास कैसा रहा है? यह पुस्तक आपको संख्याओं की अनंत यात्रा पर ले चलती है, प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक गणना प्रणालियों तक।आदिम गणना के निशान संख्याओं के इतिहास की शुरुआत मानव सभ्यता के उषाकाल से ही जुड़ी हुई है। हमारे पूर्वजों ने, भले ही उनके पास औपचारिक गणितीय प्रणालियाँ नहीं थीं, फिर भी वस्तुओं की गिनती करने और तुलना करने के तरीके विकसित किए। वे उंगलियों, पत्थरों, या लाठी जैसी प्राकृतिक वस्तुओं का उपयोग करके संख्याओं का प्रतिनिधित्व करते थे। उदाहरण के लिए, ऑस्ट्रेलिया के आदिवासी लोग शरीर के विभिन्न अंगों को एक से दस तक की संख्याओं के लिए निर्दिष्ट करते थे। इस प्रकार की प्रारंभिक गणना प्रणालियाँ सरल थीं, लेकिन वे दैनिक जीवन की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त थीं।