
Astitva Ki Paathshala me Corona Mahamari Ke Paath : Bhay (MP3-Download)
Ungekürzte Lesung. 15 Min.
Sprecher: Agarwal, Lalit
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वैज्ञानिक भी अब इस बात से सहमत हैं कि, जिस तरह से हम जी रहे हैं, उसमें भय अनिवार्य रूप से पिरोया हुआ है. बिना भय के तो जीवन की वह कल्पना भी नहीं कर सकते. भय को मापने के यंत्र माइक्रोमोड से जब वे मापते हैं तो पाते हैं कि, जीवन की हर गतिविधि ...
वैज्ञानिक भी अब इस बात से सहमत हैं कि, जिस तरह से हम जी रहे हैं, उसमें भय अनिवार्य रूप से पिरोया हुआ है. बिना भय के तो जीवन की वह कल्पना भी नहीं कर सकते. भय को मापने के यंत्र माइक्रोमोड से जब वे मापते हैं तो पाते हैं कि, जीवन की हर गतिविधि में भय है. खाने में, चलने में यहाँ तक कि सोने में भी भय है. इन सब भय के पीछे हमारा ज्ञान बैठा हुआ है. हमारे मन मस्तिष्क को यह सूचना है कि, बहुत सारे लोग खाते हुए, चलते फिरते या बैठे हुए मर जाते हैं. चूँकि सोते सोते भी कुछ लोग मर जाते हैं इसलिए वह यंत्र सोते हुए व्यक्ति में भी भय की मात्रा को पकड़ लेता है. हम तो इन सारे प्रमाणों से अब यह मान ही बैठे हैं कि, भय से मुक्त होकर जिया ही नहीं जा सकता है. अब भला इससे बड़ा दुर्भाग्य मनुष्य का क्या होगा जब वह घाव को अपना अनिवार्य अंग मान ले. निश्चित ही भय से मुक्त जीवन सम्भव है. इसी भय मुक्त जीवन को भली भाँति जीवन में स्थापित करता यह अध्याय भय को जड़ से उखाड़ने की कला को सहज ही हमारे अंदर पिरो रहा है.
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