
Astitva Ki Paathshala me Corona Mahamari Ke Paath : Asuraksha (MP3-Download)
Ungekürzte Lesung. 16 Min.
Sprecher: Agarwal, Lalit
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यदि हम गहराई से देखें तो पाएँगे कि, जिस तरह से मनुष्य चेतना विकसित हुई है और मौजूदा स्वरूप में विद्यमान है, उसमें मनुष्य मात्र असुरक्षित है. चाहे वह दुनिया के किसी भी कोने में रहता हो. दुनिया का कोई भी मनुष्य बाहर से कितना भी सभ्य-असभ...
यदि हम गहराई से देखें तो पाएँगे कि, जिस तरह से मनुष्य चेतना विकसित हुई है और मौजूदा स्वरूप में विद्यमान है, उसमें मनुष्य मात्र असुरक्षित है. चाहे वह दुनिया के किसी भी कोने में रहता हो. दुनिया का कोई भी मनुष्य बाहर से कितना भी सभ्य-असभ्य, अमीर-गरीब दिख रहा हो, भीतर एक ही मनुष्य चेतना को जी रहा होता है. चेतना तो आकाश से भी सूक्ष्म और व्यापक है. उस चेतना का बुनियादी ढंग है केंद्र बनाकर गति करना. हर व्यक्ति इस एक प्रथम ख़्याल के साथ ही स्वयं के होने को समझ पाता है कि, वह है. साथ ही सभी चर अचर वस्तुओं से यहाँ तक कि विचारों तक से भी पृथक है. इसी प्रथम ख़्याल के इर्द गिर्द उसका सारा जीवन बुना जाता है, सम्बंध बुने जाते हैं. पीढ़ियों से भूल भरे ढंग से संस्कारित जिस जीवन शैली में हम सदा असुरक्षा से सुरक्षा में आने के लिए जूझते रहते हैं, उसी संस्कारित जीवन शैली से बाहर ले आता यह अध्याय, ऐसे जीवन का अन्वेषण कर रहा है, जो असुरक्षा को जानता ही नहीं.
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