
Jivan Jaisa Jiya
Versandkostenfrei!
Versandfertig in über 4 Wochen
38,99 €
inkl. MwSt.
PAYBACK Punkte
19 °P sammeln!
पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर की यह आत्मकथा सिर्फ उनकी निजी जि़न्दगी की कहानी नहीं है। यह उनके समय का प्रामाणिक दस्तावेज़ भी है। वे आजादी के बाद की निर्णायक राजनैतिक घटनाओं से जुड़े रहे। उन घटनाओं को एक निश्चित दिशा देने में उन...
पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर की यह आत्मकथा सिर्फ उनकी निजी जि़न्दगी की कहानी नहीं है। यह उनके समय का प्रामाणिक दस्तावेज़ भी है। वे आजादी के बाद की निर्णायक राजनैतिक घटनाओं से जुड़े रहे। उन घटनाओं को एक निश्चित दिशा देने में उन्होंने ऐतिहासिक भूमिका भी निभाई। इसलिए उनकी इस आत्मकथा में उनके दौर का अनुद्घाटित इतिहास सुरक्षित है। अपने समय के अनेक व्यक्तित्वों और घटनाओं के बारे में उन्होंने ऐसी जानकारियाँ भी दी हैं जिनसे समकालीन राजनैतिक-सामाजिक इतिहास को समझने के लिए नए तथ्य प्राप्त होते हैं। बलिया के एक किसान परिवार में जनमे चन्द्रशेखर अपनी जीवन-यात्रा में अनेक पड़ावों से गुजरे। स्वाधीनता-आन्दोलन में शिरकत की। आजादी के बाद समाजवाद के लिए चलाए जानेवाले संघर्ष को आगे बढ़ाया। कांग्रेस को प्रगतिशील बनाने के लिए नए कार्यक्रम रखे। आपातकाल की जेल-यात्रा के बाद जनता पार्टी के पहले अध्यक्ष बने। जनता दल की सरकार के जाने के बाद देश के प्रधानमंत्री पद पर पहुँचे और समझौताविहीन व्यक्तित्व के कारण अन्तत इस्तीफा दिया। उदारीकरण और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के नव साम्राज्यवाद का वे विरोध करते रहे। उनकी इस आत्मकथा में बाहरी संसार के अलावा उनके व्यक्तित्व की गहरी संवेदनशीलता और मानवीय पक्ष का वृत्तान्त भी शामिल है। हिन्दी में आत्मकथा साहित्य की परम्परा में चन्द्रशेखर की यह आत्मकथा एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।