
अपनों के बीच अजनबी
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क्या मुस्लिम नौजवान 'लव जेहाद' करना चाहते हैं? क्या मुसलमान कश्मीरी अतंकियों का समर्थन करते हैं? क्या मुस्लिम मोहल्ले 'मिनी पाकिस्तान' होते हैं? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जो आजकल अल्पसंख्याकों से अक्सर पूछे जा रहें हैं! यही नहीं उनके रहन-...
क्या मुस्लिम नौजवान 'लव जेहाद' करना चाहते हैं? क्या मुसलमान कश्मीरी अतंकियों का समर्थन करते हैं? क्या मुस्लिम मोहल्ले 'मिनी पाकिस्तान' होते हैं? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जो आजकल अल्पसंख्याकों से अक्सर पूछे जा रहें हैं! यही नहीं उनके रहन-सहन, रीति-रिवाजों का उपहास किया जा रहा है और देश के प्रति उनकी निष्ठा पर भी उनगली उठाई जा रही है! ये काम बहुसंख्यक वर्ग का एक खास तबका कर रहा है! उसका मकसद पुरे समाज में अल्पसंख्याक वर्ग के प्रति नफ़रत पैदा करना है! यह किताब ऐसे माहौल में अल्पसंख्यक वर्ग के एक युवा की मनोदशा को सामने लाती है! इसमें लेखक ने उन सवालों और आरोपों के जवाब तारकिरक रूप से दिए हैं जिनसे अल्पसंख्यकों के खिलाफ फैलाई जा रही अफवाहों और धारणाओं का सच सामने अत है!